रिश्तों की पूजा जहाँ हो,
आदर बड़ों का जहाँ हो,
भीगे जो ममता का आँचल,
आंसू बने गंगा जल ,
हँसना हँसाना है , रोना रुलाना है,
खोना है पाना है, फिर मुस्कुराना है,
कहानी हर घर की, कहानी घर घर की !
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Wednesday, October 22, 2008
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