Thursday, January 8, 2009

ये मत सोचो कल क्या होगा

एक थी लड़की मेरी सहेली

साथ पली और साथ ही खेली

फूलों जैसे गाल थे उसके

रेशम जैसे बाल थे उसके

हम उसको गुड़िया कहते थे

रंगों की पुड़िया कहते थे

सारी थी मुझे प्यारी थी वो

नन्हीं राजकुलारी थी वो

एक दिन उसने भोलेपन से

पूछा ये पापा से जा के

अब मैं ख़ुश रहती हूँ जैसे

सदा ही क्या ख़ुश रहूँगी ऐसे

पापा बोले मेरी बच्ची

बात बताऊँ तुझ को सच्ची

कल की बात ना कोई जाने

कहते हैं ये सभी सियाने

( ये मत सोचो कल क्या होगा

जो भी होगा अच्छा होगा ) -२

बचपन बीता आई जवानी

लड़की बन गई रूप की रानी

college में इठलाती फिरती

बल खाती लहराती फिरती

एक सुन्दर चंचल लड़के ने

छुप-छुप कर चुपके-चुपके से

लड़की की तस्वीर बनाई

और ये कह कर उसे दिखाई

इस पर अपना नाम तो लिख दो

छोटा सा पैग़ाम तो लिख दो

लड़की पहले तो शरमाई

फिर मन ही मन में मुस्काई

इक दिन उसने भोलेपन से

पूछा ये अपने साजन से

अब मैं ख़ुश रहती हूँ जैसे

सदा ही क्या ख़ुश रहूँगी ऐसे

उसने कहा की मेरी रानी

इतनी बात है मैने जानी

कल की बात ना कोई जाने

कहते हैं ये सभी सियाने

( ये मत सोचो कल क्या होगा

जो भी होगा अच्छा होगा ) -३ ँ हूँ -२

इक परदेसी दूर से आया

लड़की पर हक़ अपना जताया

घर वालों ने हामी भर दी

परदेसी की मरज़ी कर दी

प्यार के वादे हुये ना पूरे

रह गये सारे ख़ाब अधूरे

छोड़ के साथी और हमसाये

चल दी लड़की देस पराये

दो बाँहों के हार ने रोका

वादों की दीवार ने रोका

घायल दिल का प्यार पुकारा

आँचल का हर तार पुकारा

पर लड़की कुछ मुँह से ना बोली

पत्थर बन कर ग़ैर की हो ली

अब गुमसुम हैरान सी है वो

मुझसे भी अनजान सी है वो

जब भी देखो चुप रहती है

कहती है तो ये कहती है

कल की बात ना कोई जाने

कहते हैं ये सभी सियाने

( ये मत सोचो कल क्या होगा

जो भी होगा अच्छा होगा ) -३

--साहिर, गुमराह, १९६३

1 comment:

Unknown said...

such kahu to ye kavita mere dil ko chhu gayi mere aankho ke aanshu palko pe aa gaye inhe rokna chaha magar ruke nahi jaise jaise kavita aage badi meri aankh bhi vaise hi bhar aayi.
aapne bahut hi pyari kavita likhi hai
main bhagwan se prarthana karta hoo ki aapko aise hi likhne ke liye prerit kare
_ram kumar jaiswal(lg electronics india pvt ltd)9899389347